यात्रियों के चले जाने के 17 दिन बाद भी क्रूज पर जीवित मिला कोराना वायरस का आरएनए
अलग सतह पर 24 से 72 घंटे तक जीवित रहता है वायरस
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना के आरएनए के नहीं फैलता कोविड-19
हाल ही में अमेरिका में डायमंड प्रिंसेस नामक क्रूज शिप को यात्रियों के खाली कर देने के 17 दिन बाद भी कोरोना वायरस के आरएनए पाए गए हैं। इसके उसे थ्योरी पर प्रश्न उठने लगे हैं जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस अलग-अलग सतहों पर 24 से 72 घंटे तक जीवित रह सकता है। हालांकि राहत की बात यह है कि वैज्ञानिकों का कहना है कोरोना के आरएनए से संक्रमण नहीं फैल सकता है।
अमेरिका के सेंटर फॉर डीसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट में कहा गया कि उन्हें क्रूज शिप में यात्रियों को खाली कर देने के 17 दिन बाद कोरोना वायरस के आरएनए मिले हैं।
लेकिन इस मामले में जापानी वैज्ञानिक तथा येल यूनिवर्सिटी के इम्यूनॉजी के प्रोफेसर डॉ. अकिको इवासाकी ने कहा कि इस रिपोर्ट का मतलब है कि उन्हें शिप में वायरस के कुछ हिस्से मिले हैं। इन हिस्सों और आरएनए के साथ मिलने से पूरा वायरस फिर से पैदा नहीं हो सकता है । वायरस पैदा करने के लिए आपको उसके पूरे जिनोम की आवश्यकता होगी।
इसी तरह से एक अन्य वैज्ञानिक हावर्ड मेडिकल स्कूल की डॉ. जूलिया मार्कस ने भी कहा कि संक्रमण फैलाने के लिए केवल आरएनए का होना पर्याप्त नहीं है
तांबे की सतह पर सबसे कम जीवित रहा है कोरोना वायरस
पुराने समय में हमारे देश में तांबे के बर्तन का चलन था और अब भी पानी पीने के लिए तांबे के घड़े और गिलास का उपयोग करने की सलाह दी जाती है न्यू इंगलैंड जर्नल फॉर मेडिसिन के अध्ययन के हवाले से जूलिया मार्कस ने बताया कि तांबे की सतह पर यह वायरस सबसे कम केवल चार घंटे जीवित रह सकता है। इसके बाद कार्ड बोर्ड पर 24 घंटे तक तथा स्टील तथा प्लास्टिक की सतह पर सबसे अधिक 72 घंटे तक कोरोना वायरस जीवित रह सकता है।
कितने वायरस के हो सकता है संक्रमण कितने कोरोना से आपको कोविड-19 संक्रमण फैलाने के लिए काफी है, यह पूछे जाने पर अकिको इवासाकी ने बताया कि हर संक्रमण फैलाने के लिए हर वायरस की अलग-अलग संख्या आवश्यक होती है। आपकी उंगली में लगा केवल एक वायरस आपको कोविड-19 से संक्रमित नहीं बना सकता है। कुछ वायरस जहां केवल दस की संख्या में ही संक्रमण फैला सकते हैं तो वहीं कुछ मामलों में कम से कम दस लाख वायरस मौजूद हों तब संक्रमण फैलता है। इसके चलते कम वायरस होने पर संक्रमण होने का खतरा न के बराबर होता