17th April 2024

अब सरकार बेचेगी सिनेमा के टिकिट

आंध्र सरकार तैयार कर रही रेलवे आरक्षण की तरह सिनेमा टिकट का सिस्टम

हैदराबाद

फिल्मों के टिकट बेचती हुई सरकार कैसी लगेगी? इस सवाल का जवाब आपको जल्द ही मिलने वाला है। क्योंकि आंध्र प्रदेश सरकार ऑनलाइन सिनेमा टिकट बेचने के धंधे में उतर रही है। शुक्रवार को इस बाबत आदेश पारित किया गया। इसके अनुसार राज्य सरकार एक वेबसाइट शुरू करने जा रही है। इस वेबसाइट पर राज्यभर के सिंगल और मल्टीप्लेक्स थिएटर्स के टिकट ऑनलाइन बेचे जाएंगे। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी का यह फैसला तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के लिए काफी हैरानी भरा है। वहीं इस फैसले पर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

रेलवे रिजर्वेशन सिस्टम की तरह चलाने का दावा

यह सरकारी फैसला आंध्र प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी (होम) कुमार विश्वजीत ने 31 अगस्त को पारित किया। इस आदेश में कहा गया है कि आंध्र प्रदेश सरकार सिनेमा टिकट बेचने के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार करेगी। यह पोर्टल ऑनलाइन रेलवे रिजर्वेशन टिकटिंग सिस्टम की तर्ज पर काम करेगा। आंध्र प्रदेश स्टेट फिल्म, टीवी और थिएटर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इसे चलाएगी।

इसके वर्किंग मॉडल पर काम किया जा रहा है। अभी तक प्रदेश में फिल्म टिकट बुक माई शो जैसे प्राइवेट प्लेयर्स के जरिए बेचे जाते थे। इसके अलावा कुछ ऑफलाइन काउंटर पर टिकटों की बिक्री होती थी। हालांकि यह सुविधा केवल विजयवाड़ा और विशाखापट्टनम समेत कुछ प्रमुख शहरों में ही उपलब्ध थी। राज्य के अन्य जिलों और ग्रामीण इलाकों में फिल्म शुरू होने से पहले केवल फिजिकल मोड में ही टिकट बेचे जाते थे।

सरकार तलाश रही है कमाई का जरिया

प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने पहचान न जाहिर करने की शर्त पर इस फैसले के पीछे की वजह बताई। उसने बताया कि इस कदम के जरिए प्रदेश सरकार मूवी थिएटर्स से टैक्स के रूप में कमाई की संभावना तलाश रही है। अधिकारी के मुताबिक तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री सालाना कमाई की तुलना में सरकार को जो टैक्स देती है वह बहुत कम है। यह काफी पुराना मसला है और अब इसका समाधान किया जा रहा है। इसके मुताबिक अब अगर फिल्म निर्माता 100 करोड़ की कमाई करता है तो उसे इसी के अनुसार टैक्स देना होगा

मामले को लेकर अभी बना हुआ है कंफ्यूजन

इस बीच सरकार के इस कदम ने इंडस्ट्री के लोगों को चिंता में डाल दिया है। यह सभी इस बात को लेकर परेशान हैं कि सरकार आगे करना क्या चाहती है? हालांकि कई लोगों ने इस मामले को संवेदनशील बताते हुए टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। इंडस्ट्री से जुडे़ एक शख्स ने कहा कि यह मामला तभी सुलझेगा, जब कोई एक बड़ा अभिनेता मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी से मिलकर उनसे बात करेगा।

वहीं आंध्र प्रदेश के एक बड़े फिल्म निर्माता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शुरुआत में फिल्म इंडस्ट्री ने टैक्सेशन को सही करने के लिए खुद ऑनलाइन टिकटिंक को रेकमेंड किया था। लेकिन मुश्किल यह है कि अब इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि प्रदेश सरकार करना क्या चाहती है?

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