कोरोना वायरस के वैक्सीन के मनुष्य पर ट्रायल की तैयारी
फिर भी सालभर से ज्यादा लगेगा वैक्सीन को बाजार में आने में
कोरोना से बचाव के लिए बनाई गई कठोर रणनीति के बाद भी इसके फैलने की गति ही कम हुई है लेकिन इसकी रोकथाम अब तक नहीं हो पाई हैं। ऐसे में दुनिया की निगाहें इस वायरस की रोकथाम के लिए बनने वाले वैक्सीन पर लगी हैं। अभी दुनियाभर में लगभग 35 कंपनियां और संस्थान इस वैक्सीन को बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इसमें अमेरिका के बोस्टन स्थित बॉयोटेक फर्म मॉडेर्ना पहली कंपनी थी जो वैक्सीन निर्माण में लगी थी। बताया जा रहा है कि इस कंपनी द्वारा बनाए गए वैक्सीन के ट्रायल जानवरों पर किये जा चुके हैं और जल्द ही इसका ट्रायल मनुष्यों पर भी किया जाएगा। कोरोना के वैक्सीन की रिसर्च के लिए वित्तीय मदद देने वाले कोएलिशन फॉर एपीडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशन के सीईओ रिचर्ड हैचेट ने कहा कि कभी ये नहीं सोचा गया था कि कोरोना महामारी का रूप ले लेगा। इसके बजाय यह माना जाता था कि फ्लू महामारी का रूप ले सकता है। इसके चलते कभी कोरोना के वैक्सीन पर काम नहीं हुआ।
पहले भी दो बार फैल चुका है कोरोना
कोरोना का संक्रमण पहले भी दो बार फैल चुका है। पहली बार यह चीन में ही 2002 से 2004 के दौरान फैला था। इसका बाद 2012 में सऊदी अरब में यह फैला गया था। लेकिन दोनों ही अवसरों पर वैक्सीन बनाने के पहले ही इस संक्रमण की रोकथाम हो गई थी। इसके चलते भी वैक्सीन की दिशा में काम नहीं किया गया था। इस दौरान अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स ने वैक्सीन तैयार करने की दिशा में काम किया था। अब यही कंपनी इस बार फिर वैक्सीन पर काम कर रही है। कंपनी का कहना है कि उसके पास इस वैक्सीन के मनुष्य पर ट्रायल करने की तैयारी है।
अमेरिका में वैक्सीन को लेकर क्लीनिकल ट्रायल के जो नियम हैं उनके हिसाब से इस वैक्सीन के ट्रायल में लगभग एक दशक का समय लग सकता है। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप इस वैक्सीन को नवंबर में होने वाले अमेरिकी चुनाव के पहले ही तैयार करने के निर्देश दे चुके हैं लेकिन इसके बाद भी शोधकर्ताओं का मानना है कि इसे बाजार में आने में कम से कम 18 महीने का समय लगेगा। एक और समस्या ये भी बताई जा रही है कि इसके बन जाने के बाद वैश्विक स्तर पर इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना भी कम चुनौतिपूर्ण नहीं होगा। ब्रिटेन जैसे देशों ने इस वैक्सीन के उपयोग को लेकर अपनी नीति अभी से तय कर ली है। वहां पर सबसे पहले इसे स्वास्थ्य कर्मियों को लगाया जाएगा।