27th July 2024

कोरोना के खतरे के मामले में भारत दुनिया में 23 वें नंबर पर

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कोरोना के लिए बैंकाक को सबसे खतरनाक शहर माना

कोरोना को लेकर देश में जो माहौल बना हुआ है उसमें यह जानना जरुरी है कि भारत को दुनिया में इस महामारी को फैलने के जोखिम के आधार पर कहां रखा है। दुनिया में कोरोना के संक्रमण के खतरे के आधार पर भारत को दुनिया में 23वें स्थान पर रखा गया है। यह अध्ययन साउथम्पटन यूनिवर्सिटी की वर्ल्ड पॉप टीम ने किया है। इसमें अमेरिका को छठे, ऑस्ट्रेलिया को दसवें तथा ब्रिटेन को 17वें स्थान पर रखा गया था। इतना ही नहीं इस टीम ने थाईलैंड को बैंकाक को इस वायरस के प्रसार के लिए सबसे जोखिमभरा स्थान बताया था। पॉप टीम का मानना था कि दुनिया में बैंकाक ही वो स्थान है जहां से कोरोना दुनियाभर में फैल सकता है।  

हालांकि थाईलैंड में अब तक इस वायरस के केवल 1045 मामले सामने आए हैं और इनमें केवल चार मरीजों की ही मौत हुई है। जहां तक भारत की बात है तो दुनिया में संक्रमित लोगों की संख्या और जनसंख्या के साथ इसके अनुपात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत ने अब तक कोरोना से अपनी लड़ाई प्रभावी तरीके से लड़ी है।

वर्ल्ड मीटर के अनुसार 27 मार्च तक भारत में कोरोना के 733 मामले सामने आए हैं, जिनमें 6 मामले पिछले 24 घंटों में सामने आए हैं। वहीं पिछले 24 घंटों में अमेरिका में 159, चीन में 55, दक्षिण कोरिया में 91 और मैक्सिको में 110 संक्रमण के नए मामले सामने आए हैं। इसके अलावा भारत की स्थिति जनसंख्या के अनुपात में संक्रमित मामलों के लेकर भी बहुत अच्छी है। भारत में प्रति दस लाख जनसंख्या पर कोरोना संक्रमण की दर केवल 0.5 है। इस सूची में भारत से नीचे केवल नाईजीरिया और मोजांबिक जैसे अफ्रीकी देश ही हैं। वहीं चीन में ये दर 57, अमेरिका में 259, इटली में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 1333, स्पेन में 1236, स्विटजरलैंड में 1365, आईसलैंड में 2350 है। इस तरह से देरी से कोरोना के मामले में एक्शन लेने के विपक्ष के आरोपों के बाद भी भारत ने कोरोना से निपटने की दिशा में अच्छा काम किया है।

दुनिया में मौत का आंकड़ 24 हजार पार

वहीं 27 मार्च की सुबह तक दुनिया में कोरोना से मरने वालों की संख्या 24009 तक पहुंच गई है। अब तक 5.32 लाख लोगों में इसका संक्रमण पाया गया है और लगभग सवा लाख लोग इससे ठीक भी हो चुके हैं। इन आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों का प्रतिशत लगभग 23 है। वहीं लगभग साढ़े चार प्रतिशत मरीजों की इस संक्रमण से मौत हुई है।

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