21st November 2024

मलेरिया के कारण कोरोना से बचा है भारत

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भारत और अफ्रीकी देशों सहित जहां मलेरिया के मामले ज्यादा वहां कोराना के मामले कम

दुनिया में मलेरिया के 80 प्रतिशत मामले यहीं सामने आते हैं , अफ्रीकी देशों में कोरोना का कहर नहीं, भारत में भी कम है कोरोना संक्रमण की दर । इटली, अमेरिका और चीन में मलेरिया की दर शून्य तो कोरोना की सबसे ज्यादा

सुचेन्द्र मिश्रा

क्या मलेरिया का कोरोना से कोई संबंध हैं? ये एक ऐसा सवाल है जिसके जवाब सोशल मीडिया लेकर लैबोरेटरी तक खोजे जा रहे हैं। इतना ही नहीं मलेरिया के ईलाज में उपयोग की जाने वाली दवा से इसके ईलाज की कोशिशें भी हो रही हैं। ( आप इसकी कोशिश न करें, चिकित्सकों से सलाह लें) ऐसे में मलेरिया और कोरोना के संबंधों के लेकर दुनियााभर मेंं उत्सुकता है।

नासा के भूतपूर्व वैज्ञानिक रॉय स्पेंसर ने इस मामले में एक शोध किया है। डॉ. रॉय के मुताबिक इस शोध के निष्कर्षों के आधार पर कहा जा सकता है कि जिन देशों में मलेरिया के मामलों की दर ज्यादा है वहां पर अब तक कोरोना संक्रमण की दर कम देखने में आई है। इस अध्ययन से भारतीय और अफ्रीकी खुश हो सकते हैं क्योंकि दुनिया के कुल मलेरिया के मामलों में से 80 प्रतिशत यहीं पाए जाते हैं। सौभाग्य की बात है कि इन देशों में अब तक कोरोना के संक्रमण फैलने की दर भी कम है।

दुनिया के लगभग साठ देशों में महामारी का रूप ले चुके कोरोना संक्रमण का अब तक अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में मामली असर नहीं देखा गया है। इस अध्ययन को किए जाते समय (18 मार्च ) तक अफ्रीका महाद्वीप में कोरोना संक्रमण के केवल तीन मामले सामने आए थे। हालांकि अप्रैैल के पहले सप्ताह तक इनकी संख्या बढ़ गई है लेकिन इनकी वृद्धि दर दुनिया के विकसित देशों की तुलना में बहुत कम है। यही स्थिति भारत की भी है। जनसंख्या घनत्व और विदेश जाने वालों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह माना गया था कि कोरोना भारत को बहुत बुरी तरह प्रभावित करेगा। भले ही अब तक भारत में कोरोना के लगभग 4778 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन इसकी दर जनसंख्या के अनुपात में मामूली ही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी कोरोना को लेकर भारत की तैयारियों की प्रशंसा कर चुका है।

क्या है अध्ययन में

डॉ. रॉय का कहना है कि फिलहाल मलेरिया और कोरोना (कोवड-19) के संबंधों को लेकर और शोध की आवश्यकता है लेकिन उन्होंने इस मामले में आकंड़ों को लेकर जो अध्ययन किया है उसके अनुसार निष्कर्ष यही है कि जहां मलेरिया के मामले ज्यादा हैं वहां पर कोरोना के मामले कम हैं। मलेरिया विश्व स्वास्थ्य संगठन मलेरिया के मामलों को प्रति हजार जनसंख्या के आधार पर जारी करता है तो कोरोना के मामलों के डाटा प्रति दस लाख जनसंख्या के आधार पर जारी करता है।

डॉ. रॉय के अनुसार मलेरिया के मामलों में

  • दुनिया के प्रथम 40 देशों में जहां मलेरिया की दर 212.24 प्रति हजार जनसंख्या है वहां कोविड-19 की दर 0.2 प्रति दस लाख जनसंख्या है
  • उन 40 देशों में जहां मलेरिया की दर 7.30 प्रति हजार जनसंख्या है वहां कोविड-19 की दर 10.1 प्रति दस लाख जनसंख्या है।
  • शेष 154 देशों में जहां मलेरिया की दर शून्य हैं वहां कोविड-19 के 68.7 मामले प्रति दस लाख जनसंख्या के पाए जा रहे हैं।

भारत में कोरोना की स्थिति

भारत में कोरोना संक्रमण के आंकड़ें भी इस थ्योरी का समर्थन करते हैं। सात अप्रैल तक भारत में कोरोना संक्रमण के 4778 मामले सामने आए हैं और अब तक 136 मरीजों की इससे मौत हुई है। जहां तक भारत में प्रति दस लाख जनसंख्या पर संक्रमितों की संख्या केवल दो है। वहीं मलेरिया के मामलों की बात करें तो भारत में प्रतिवर्ष इसके लगभग पांच लाख मामले सामने आते हैं। तथा दुनिया में मलेरिता मामलों में 80 प्रतिशत केवल भारत और अफ्रीका के 19 देशों में ही सामने आते हैं। इस तरह से भारत के कोरोना के आंकड़ें डॉ. रॉय के विश्वलेषण का समर्थन करते लगते हैं।

कुनैन में खोज रहे ईलाज

करोना से मलेरिया का संबंध केवल इन आंकड़ों तक ही सीमित नहीं है। बल्कि कोरोना के ईलाज की संभावनाएं मलेरिया के ईलाज में उपयोग की जाने वाली कुनैन जिसका की वैज्ञानिक नाम क्लोरोक्वीन हैं, में भी खोजे जा रहे हैं। हालांकि अभी भी यह कहा जा रहा है कि इस मामले में औऱ शोध की गुंजाईश है लेकिन अमेरिका, इटली और चीन जैसे शून्य मलेरिया की दर वाले देशों में कुनैन मंगवाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक अमेरिका ने कुनैन मंगवाने के लिए भारत से संपर्क किया है। ( आप स्वयं कुनैन से ईलजा की कोशिश न करें, कोरोना संक्रमण के लक्षण सामने आने पर डॉक्टर से संपर्क करें। )

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