ग्रामीण बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं तो टीचर ने शुरू की लॉउडस्पीकर क्लास
झारखंड के टीचर का कमाल, बच्चों को पिछड़ता नहीं देखना चाहते
दुमका
जहां शहरों में आपदा को अवसर मानकर निजी स्कूल मनमानी कर रहे हैं वहीं झारखंड के दुमका जिले के एक गांव बनकठा के सरकारी स्कूल के शिक्षक ने अपने विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अनोखा तरीका निकाला। शासकीय मिडिल स्कूल के हेडमास्टर ने अपने स्कूल के 200 बच्चों के लिए लॉउडस्पीकर क्लास शुरू की। ये क्लास 16 अप्रेल से लगातार चल रही है। ये एक ऐसा प्रयोग है जिसके लिए न तो डाटा प्लान की जरुरत है और न ही स्मार्ट फोन की । और हां फीस की जरुरत तो बिलकुल ही नहीं हैं।
इस अनोखे तरीके पर काम करने वाले शिक्षक हैं श्याम किशोर सिंह गांधी। गाधी इस बात के उदाहरण हैं कि एक शिक्षक अपने छात्रों के लिए क्या कर सकता है? गांधी शासकीय शिक्षक हैं, यदि वे लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों को नहीं पढ़ाते तो भी उन्हें वेतन मिलता रहता। लेकिन वे बच्चों की पढ़ाई को लेकर चिंतित थे। उन्हें पता था कि गांव के बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं हैं। इसके चलते उन्हें लॉउडस्पीकर का विकल्प सूझा।
गांधी बताते हैं कि उन्होंने और उनके साथियों ने तय किया कि लॉउडस्पीकर के जरिए पढ़ाई कराई जा सकती है। इसके बाद गांव में अलग-अलग स्थानों पर लाॅउडस्पीकर लगाए गए। जहां ज्यादा स्टूडेंट्स रहते थे वहां ज्यादा शक्तिशाली लाॅउडस्पीकर लगाए गए और जहां कम संख्या में छात्र हैं वहां कम शक्ति के लॉउडस्पीकर लगाए गए।
दो घंटे की क्लास
गांधी ने बताया कि इन छात्रों के लिए दो घंटे प्रतिदिन क्लास लगाई जा रही है। पांच शिक्षक और दो पैरा शिक्षक मिलकर इस मिडिल स्कूल के 246 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। क्लास सुबह दस बजे शुरू होती है। इस क्लास में जि्स बच्चे को कोई प्रश्न पूछना हो वो अपना प्रश्न या डाउट किसी के भी मोबाइल के जरिए शिक्षकों को मैसेज करा सकता है। शिक्षक अगले दिन की क्लास में इसका जवाब दे देते हैं। इस अनोखी क्लास का रिस्पांस बहुत अच्छा है। लॉउडस्पीकर पर पढ़ना बच्चों के लिए नया अनुभव है और वे इसका पूरा मजा ले रहे हैं।
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