29th March 2024

शंकराचार्य और दलित सांसद का फोटो मनमाफिक तरीके से वायरल कराकर मनभेद की थी तैयारी 

जानिए क्यों जरूरी है मीडिया लिटरेसी

पिछले एक-दो दिन से सोशल मीडिया पर एक फोटो वायरल हो रहा है जिसमें की पूरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती एक सोफे पर बैठे हैं तथा सामने इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया उनके पैर छूने का प्रयास करते दिखाई दे रहे हैं। उसी समय शंकराचार्य जी का अपने पैर सोफे के ऊपर पालथी मारकर बैठने का मूवमेंट हुआ और इसे किसी फोटोग्राफर ने क्लिक कर लिया । इसके बाद जातिवाद में अवसर खोजने वाले कथित समाज सेवको। की टीम ने इस फोटो को सोशल मीडिया पर इस कैप्शन के साथ वायरल कराया कि शंकराचार्य ने दलित सांसद से पैर छुआने से इंकार कर दिया और उन्हें वहां से जाने के लिए कह दिया। 

सोशल मीडिया पर वायरल फोटो और संदेश

कोई भी सामान्य बुद्धि का व्यक्ति इस फोटो को देख कर ही समझ सकता है कि घटनाक्रम क्या है? लेकिन वैमनस्यता में ही अवसर खोजने वालों के लिए अक्ल के कपाट पूरी तरह से बंद होते हैं।

इस फोटो की सच्चाई अब सामने आई है जबकि सांसद रामशंकर कठेरिया ने इस घटना का खंडन करते हुए कहा है कि उन्होंने मार्च में शंकराचार्य जी से मुलाकात की थी और उस समय इस तरह की कोई घटना नहीं हुई थी। पूर्व मंत्री और सांसद रामशंकर कठेरिया ने उस मुलाकात के अन्य फोटो भी जारी किए हैं जिसमें कि वे शंकराचार्य जी के पैर छूते दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं सांसद कठेरिया ने अपने गांव में हुई भागवत कथा के निमंत्रण पत्र भी जारी किए हैं। भागवत कथा पंडित श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज ने की थी। डॉक्टर कठेरिया ने बताया कि वह इस भागवत कथा का निमंत्रण देने के लिए वृंदावन में शंकराचार्य जी के पास गए थे और उनके साथ एक घंटा रहे थे। 

सांसद कठेरिया यह निमंत्रण पत्र देने शंकराचार्य जी के पास गए थे।

वायरल हो रही तस्वीर पर कठेरिया का कहना है कि “जब मैं उन्हें नमन कर रहा था तब शंकराचार्य अपने बैठने की मुद्रा को बदल रहे थे और उसी वक्त तस्वीर एक ऐसे एंगल से खिंच गई जिससे ये भ्रम फैल रहा है कि शंकराचार्य ने उन्हें पैर छूने से रोक दिया जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।”    

गोवर्धन मठ के सदस्य आदित्य कुमार सिंह ने बताया कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से ही शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज के पैर छूने की पंरपरा को बंद कर दिया गया है। आगंतुक चाहे किसी भी जाति के हों, सभी दूर से ही नमन करते हैं।

शंकराचार्य जी के साथ मुलाकात के चित्र जो सांसद कठेरिया ने जारी किए हैं।

इस तस्वीर का फैक्ट चेक होने तक इसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया और यह चित्र और गलत संदेश लाखों लोगों तक पहुंच गया है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि सही संदेश हम ज्यादातर लोगों तक पहुंचाएं। इसके साथ ही यह मामला इस बात का भी उदाहरण है कि मीडिया लिटरेसी की कितनी आवश्यकता है।

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