शिवसेना फिर शामिल होगी मोदी सरकार में और भाजपा महाराष्ट्र सरकार में
उद्धव ठाकरे ही रहेंगे सीएम, फड़नवीस के दिल्ली आने की संभावना
मुंबई / दिल्ली
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में नई राजनीतिक खिचड़ी पक रही है। पुराने स्वाभाविक मित्र भाजपा और शिवसेना के एक बार फिर से साथ आने की सुगबुगाहट है। बताया जा रहा है कि इस बार के मोदी सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार में शिवसेना को भी प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि महाराष्ट्र में भी राजनीतिक उथल-पुथल होगा और महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार के गिरने के आसार हैं।
दिल्ली के राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है। बताया जा रहा है कि नए मंत्रियों के लिए जो नाम तय किए गए हैं उनकी सूची आईबी को जांच के लिए दी गई है। वहां से सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इसमें शिवसेना के सदस्यों के भी नाम है। कहा जा रहा है कि इसके लिए शिवसेना के साथ बात चल रही है। हाल ही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी से भी मिले थे और इसके बाद शिवसेना के मुख पत्र सामना के संपादकीय में मोदी की प्रशंसा की गई थी।
उद्धव मुंबई में फ़ड़नवीस दिल्ली में
कहा जा रहा है कि इसके लिए जिस फॉर्मूले पर बात हो रही है उसके मुताबिक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की कुर्सी शिवसेना के पास ही रहेगी। उद्धव ही मुख्यमंत्री बने रहेंगे। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को केद्र सरकार में मंत्री बनाकर दिल्ली बुला लिया जाएगा। इसके बदले में भाजपा को महाराष्ट्र सरकार में दो उप मुख्यमंत्री व एक बड़ा मंत्रालय दिए जाने की चर्चा है। कहा जा रहा है कि बंगाल चुनाव के बाद भाजपा को ऐसा लग रहा है कि 48 लोकसभा सीटों वाले महाराष्ट्र में उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में मुश्किल हो सकती है। इसके चलते वे अपने सहयोगियों के साथ संबंध सुधारने की कोशिश कर रही है।
दिल्ली की पसंद नहीं है फड़नवीस
भाजपा के भीतर कहा जाता है कि फड़नवीस महाराष्ट्र में दिल्ली की पंसद से बल्कि नागपुर की पसंद हैं। चुनाव के दौरान भी फड़नवीस ने अपने आप को प्रचार में मोदी के समकक्ष ही रखा था।इसके चलते भी उन्हें महाराष्ट्र से दिल्ली लाकर वहां नया नेतृत्व खड़ा करने की तैयारी है। उधर शिवसेना भी अघाड़ी सरकार में कांग्रेस और एनसीपी के मंत्रियों के मनमानी से परेशान है। ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के अलग चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से ही शिवसेना कांग्रेस से नाराज है।
पवार राष्ट्रपति बनने की कोशिश में
हाल ही में एनसीपी के मुखिया शरद पंवार ने चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ तीन बैठक की हैं। इनमें से एक में तो कुछ विपक्षी नेेता भी मौजूद थे। कहा जा रहा है कि पवार की रुचि अब राष्ट्रपति पद में है। उन्हें लगता है कि वे अब प्रधानमंत्री तो नहीं बन सकते लेकिन राष्ट्रपति बनने का अवसर उनके पास है। शिवसेना को लगता है कि पंवार कहीं राष्ट्रपति बनने के लिए भाजपा से हाथ न मिला लें। इसके चलते वे अपने पुराने साथी के साथ अब विनम्र हो गए हैं।